सरायकेला – खरसावां। जिले के चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में जंगली हाथियों का आतंक लगातार बढ़ता ही जा रहा है। जंगली हाथी का आतंक अनुमंडल क्षेत्र के अलग-अलग प्रखंडों के गांवों में देखने को मिल रहा है। हाथियों के आतंक से पूरा चांडिल अनुमंडल क्षेत्र तबाह हो रहा है। हाथियों द्वारा किसानों के पके हुए धान के फसल को नष्ट किया जा रहा है अथवा उन्हें अपना आहार बना रहे हैं। अपने कठोर परिश्रम से उपजाए हुए फसल को नष्ट होता देख किसान खून के आंसू रो रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर स्थानीय विधायक और वन विभाग किसानों को राहत दिलाने में अबतक विफल साबित हुआ है। दुर्भाग्य की बात है कि हाथी पीड़ित परिवार को मुआवजा राशि सौंपने की औपचारिकता पूरी करने के लिए विधायक और वन विभाग के अधिकारियों को सक्रिय देखा जाता है। परंतु, हाथियों को क्षेत्र से दूर भगाने की दिशा में कोई विशेष ध्यान नहीं है। क्या ईचागढ़ विधायक को हाथियों के समस्या का समाधान नहीं खोजना चाहिए? क्या विधायक को हाथियों को घनी आबादी एवं किसानों के खेतों से दूर भगाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों को सख्ती के साथ दिशा निर्देश नहीं देना चाहिए?
इधर, कुकड़ू प्रखंड क्षेत्र के शीशी गांव में गुरुवार की रात झुंड से बिछड़े एक हाथी ने जमकर उत्पात मचाया और गांव के कब्रिस्तान के चारदीवारी को ध्वस्त कर दिया। इसके अलावा हाथी ने शीशी गांव के सफाउद्दीन अंसारी, कुर्बान अंसारी, दानिश अंसारी, जलाल अंसारी, तकबुल अंसारी, जाकिर अंसारी, सेराज अंसारी, नूर हसन, नासिर अंसारी समेत कई किसानों के करीब चार एकड़ भूमि में लगाये गए आलू के खेती को पूरी तरह से रौंद दिया। कब्रिस्तान के आसपास के दर्जनों पेड़ को भी जंगली हाथी ने क्षतिग्रस्त कर दिया। इधर सभी किसानों ने रौंदे गए आलू के खेती का आंकलन कर वन विभाग से मुआवजा देने की मांग की है।
मालूम हो कि बीते करीब डेढ़ महीने से कुकड़ू, नीमडीह, ईचागढ़ एवं चांडिल प्रखंड के विभिन्न गांवों में हाथियों का झुंड विचरण कर रहा है। इसके कारण ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है। वहीं वन विभाग लाख कोशिशों के वाबजूद जंगली हाथियों को खदेड़ने में नाकाम है।