सरायकेला – खरसवां : आज तिरुलडीह गोलीकांड की 40वीं शहादत मनाई गई। शहीद स्थल समेत विभिन्न स्थानों में अवस्थित शहीद अजित महतो एवं धनंजय महतो के प्रतिमाओं पर राजनीतिक – सामाजिक दलों के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर अलग – अलग दलों व संगठनों ने भिन्न भिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया था।
आज तिरुलडीह गोलीकांड के शहादत दिवस के अवसर पर झामुमो ने तिरुलडीह में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया था। जिस जगह पर झामुमो ने कार्यक्रम रखा था, उसके ठीक बगल में तिरुलडीह मोड़ पर शहीद अजित महतो व शहीद धनंजय महतो की प्रतिमा है। वहां से 200 मीटर दूर शहीद स्थल है, जहां तत्कालीन ईचागढ़ प्रखंड कार्यालय हुआ करता था। उसी प्रखंड कार्यालय के समक्ष बिहार पुलिस ने गोली मारकर दो विद्यार्थी अजित महतो और धनंजय महतो की हत्या कर दी थी। उन्हीं की याद में हर साल 21 अक्टूबर को शहादत दिवस मनाया जाता है।
आज शहादत दिवस पर जो दृश्य देखने को मिला, वह न केवल आश्चर्यजनक, बल्कि शर्मनाक है। तिरुलडीह शहीद बेदी और तिरुलडीह मोड़ पर शहीद धनंजय महतो की पत्नी और पुत्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे। शहीद धनंजय महतो की पत्नी बारी देवी श्रद्धांजलि देते समय फफक रहीं थीं, उनके आंखों में आंसुओं की धारा प्रवाहित हो रही थी। शायद बारी देवी अपने पति शहीद धनंजय महतो को याद कर रही होंगी, शायद वह अपने बेहाली पर रो रही थी लेकिन उसी समय बगल में झामुमो के मंच पर रंगारंग कार्यक्रम चल रहा था। नाच गाना हो रहीं थीं और वहां पर झामुमो के नेतागण मौजूद थे। झामुमो के मंच पर पार्टी का झंडा लगा हुआ था और मंच पर युवतियां नृत्य कर रही थी, गायक गाना गा रहा था। मंच और मंच के नीचे झामुमो नेताओं का जमावड़ा लगा था। एक तरफ शहीद की पत्नी के आंखों में आंसू और दूसरी ओर उसी शहादत दिवस के नाम पर झामुमो के मंच पर नाच गाना। इन दो अलग अलग दृश्य को देख वहां मौजूद हर किसी के बीच चर्चा का विषय था।